शुक्रवार, 23 मई 2014

गौधूली वेला...

कोई आदि - अंत
नही होता जीवन का
हर हाल में
ज़ारी रहता है सफ़र
रुक-रुक कर शनै: शनै:
अब इच्छा है लौटने की
हो सकता है कुछ
बदलाव हो मुझमे
तो हैरान न होना
स्वीकारा है मैंने
प्रकृति का नियम
तुम भी मुझे 
ऐसे ही स्वीकारना
उस पुष्प की तरह
भले बदला हो
जिसका स्वरुप
खुशबू वही होगी
बस तुम अपनी
दृष्टी में रखना
वही विश्वास
गौधूली वेला में
जो अब तक
मेरी पहचान रहें हैं...

गुरुवार, 8 मई 2014

मेरे नाम...



शब्द भरे भंडार तुम्हारे छोटा सा काम कर दो,
कुछ शब्द अपने कोषागार से मेरे नाम कर दो॥

धूल भरी गर्म आंधियों में चक्रवात सिर पर चढा,
बरसे फ़ुहार पावस सी सावन मेरे नाम कर दो ॥

तुम्हारी राह के कांटे चुन लूंगी पलको से अपनी,
प्यार के कुछ बोल मनभावन मेरे नाम कर दो॥

चढ रही हैं बुलंदियों पे नफ़रतों की आँधियाँ अब,
सीप में छिप जाऊंगी मैं सागर मेरे नाम कर दो॥

प्रेम रहे सदा जहाँ में, लबो पे रहे तराने हरदम,
अपनी एक खूबसूरत सरगम मेरे नाम कर दो॥

प्यास सदियों की रही है लबों पर हरदम हरवक्त,
ये मीना, सागर साकी औ जाम मेरे नाम कर दो॥