गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

स्वागत नवीनता का ...

परिवर्तन प्रकृति का नियम है, जो कभी परिवर्तित नहीं होता। सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए तो हर परिवर्तन नवीनता से भरपूर होता है, तो आइये इस नवीनता का स्वागत करें। नववर्ष आप सबके लिए मंगलकारी हो..... 



क्या होगा
क्यों होगा
कब होगा
कैसे होगा
नई शंकाएँ
नए सवाल
जो होगा
जब होगा
तभी होगा
समय भी पाबंद है
खुद समय का
चाहकर भी 
नही लाँघ सकता
समय की सीमा 
क्यों न साथ चलें...
संध्या शर्मा

सोमवार, 7 दिसंबर 2015

समझ...

इस ब्रह्माण्ड की 
दसों दिशाओं ने
शस्य स्यामला धरा की
मुस्काती फिजाओं ने
महकती हवाओं ने
झूमती लताओं ने
बल-खाती नदियों ने
कल-कल बहते झरनों ने
माटी के धोरों ने
कर्मठ शूरवीरो ने
मिट्टी के कण कण ने
स्वदेश के जन जन ने
कह दी अमर कहानी
सब गर्वित हैं मातृभूमि पर
सिवाय उनके ....
जो बैठे रहे सिर्फ ढोंग रचाकर
न खुद समझ सके 'देशप्रेम'
न किसीको समझा पाए...