शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

परिचय से पहले बोलोगे...



दूर गगन में सुकुवा उगे
शीतल मंद पवन चले
परिन्दे निकले नीड़ों से
वन में सुंदर फ़ूल खिलें
भोर नवल सूरज ले आए
धरती पर प्रकाश फ़ैलाए
तुम भी उरबंधन खोलोगे
परिचय से पहले बोलोगे
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भोर भए बछिया रम्भाए
नीलगगन पंछी उड़ जाए
कुंए पर पनिहारिन आए 
जल की गगरी छलकाए
डग धरती डगमग डोले
रहट चले चरर चरर बोले
तुम कन्हैया तब हो लोगे
परिचय से पहले बोलोगे
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बीत गई अब सगरी रैना
न करार न मन को चैना
राधा बन बन फ़िरी बावरी
सांवरिया तुम खोलो नैना
अब के बसंत न बीत जाए
हरियाला मन सूख न जाए
कब नयनों के पट खोलोगे 
परिचय से पहले बोलोगे
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बागों के भौरों की गुंजन
फ़ैल रही खुश्बू बन बन
मधुबन में तो गुंज रहा है
पुष्पित स्वासों का स्पंदन
बसंतराजा सजकर आए
प्रकृति रोम रोम हरषाए
तुम कब गठरी खोलोगे
परिचय से पहले बोलोगे
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चाहे कोई संग न आए
मेरे शब्द भले न भाए
मन की सूनी क्यारी में
गीतों का तुम बिरवा बोए
दूर कहीं जब पंछी बोले
मधुर जीवन रस घोलोगे 
दूर खड़े पथ न देखोगे
परिचय से पहले बोलोगे
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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

इसलिए तो हम सब हैं...

सूरज
किरणें
चाँद 
चांदनी 
बादल 
बरखा
बसंत
बहार
फूल
खुशबु
रास्ते
मंज़िल
साँसे
धड़कन
प्रेम
विश्वास
दुनिया
खुशियाँ
सपने
अपने हैं
इसलिए तो हम सब हैं...